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लॉकडाउन के वजह बहुत से स्कूल/ शिक्षा संस्थान/दुकान, व्यवसाय इत्यादि बंद हो गयी है तथा बहुत से लोगो की नौकरी भी चली गयी है।
देश में प्रमुखतः दो प्रकार की बेरोज़गारी है- 1. ग्रामीण बेरोज़गारी, 2. शहरी बेरोज़गारी।
भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति इस समय ऐसी नहीं है कि इतनी बड़ी आबादी को काम-धंधे में लगा सके। औद्योगिक क्षेत्र में रोज़गार के नए अवसर नहीं बन पा रहे हैं तथा शहरी इलाकों में सबसे ज़्यादा रोज़गार सृजन करने वाले निर्माण क्षेत्र में आई मंदी के चलते रोज़गार कम हुए हैं।
दूसरी ओर खेती-किसानी में भी रोज़गार बढ़ने की गुंजाइश लगभग खत्म हो चुकी है। ग्रामीण युवा अब पुश्तैनी खेती-किसानी छोड़कर नौकरी या दिहाड़ी मजदूरी की तलाश में गाँव से शहरों और महानगरों की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन शहरों में भी कोई बेहतर हालात नहीं हैं। गाँवों से पलायन होने की वज़ह से शहरों में बेरोज़गारी भयावह रूप लेती जा रही है। इस स्थिति को देखते हुए उपहार फाउंडेशन ने बेरोजगारी मुक्त भारत अभियान का शुरुआत किया है जिसका उद्देस देश से बेरोजगार कम करना है। उपहार फाउंडेशन बेरोजगारी मुक्त भारत अभियान के माध्यम से गैर सरकारी और निजी कम्पनी में रोजगार दिलाने का कार्य करेगी। बेरोजगारी मुक्त भारत अभियान के द्वारा उपहार फाउंडेशन अनेक योजना चला रही है जैसे - पंचायत शिक्षा अभियान योजना, उपहार सिलाई योजना, उपहार स्वास्थ्य योजना इत्यादि। इन सभी योजना के तहत उपहार फाउंडेशन द्वारा लाखो युवा युवतिओं को रोजगार दिया जायेगा।
इसके अलावा उपहार फाउंडेशन युवा एवं युवतिओं को प्रखंड स्तर पर उपहार जनसेवा केंद्र , पंचायत स्तर पर उपहार शिक्षण केंद्र, उपहार स्वास्थ्य केंद्र और उपहार सिलाई केंद्र खोलने का भी अवसर दे रही है ताकि रोजगार के साथ लोग आत्मनिर्भर बन सके।